गंगा के वृहद मैदान के दक्षिणी भाग में भारत का विशाल पठारी भाग विद्यमान है | इसी पठारी भाग में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार एवं झारखण्ड प्रान्तों की सीमाओं से आबद्ध उत्तर प्रदेश के सुदूर दक्षिण-पश्चिम भाग में विपुल वन सम्पदा, खनिज संसाधनों की विपुलता और औद्योगिक समृद्धि के लिए विख्यात अपनी प्राकृतिक पर्वतीय सुषमा को बिखेरता हुआ सोन नदी की गोद में बैठा जनपद सोनभद्र अवस्थित है | विन्ध्य पर्वत श्रृंखला कों पार कर कैमूर पर्वत श्रेणियों के बिच तीन ओर कनहर, लउआ व ठेमा नदियों से घिरी हुई उपजाऊ और सुरम्य घाटी में बसा दुद्धी नगर अपने मीरजापुर मण्डल से 160 किमी०, राबर्ट्सगंज जिला मुख्यालय से 70 किमी तथा सुविख्यात काशी नगरी से 170 किमी० दक्षिण-पूर्व में स्थित है | इस तहसील मुख्यालय के पूर्व में विढ़मगंज पश्चिम में रेनुकूट, पिपरी व रेनुसागर दक्षिण में म्योरपुर व बभनी अवस्थित है | रेनुकूट में बिड़ला की एशिया की सबसे विशालतम एल्म्युनियम फैक्ट्री (हिंडाल्को) तथा रेनुसागर में बिजली उत्पादक संयंत्र लगा हुआ है | यहीं कनोरिया की रासायनिक फैक्ट्री भी स्थित है | पिपरी में रिहन्द नदी पर बना हुआ रिहन्द डेम राजकीय जल विद्युत का विशाल उत्पादन केन्द्र है | शक्तिनगर, विन्ध्यनगर तथा रिहन्द नगर में एन०टी०पी०सी० के विशाल विद्युत उत्पादक संयंत्र संचालित है |
दुद्धी क्षेत्र के इतिहास का निर्माण गहरवार, खरवार, भर, चन्देल, मराठा, गौड़ आदि जातियों ने किया है | महुली के वारियर शाह “चेरो” जाति के थे | जो नगर उंटारी के मैया साहब के साथ हुए युद्ध में मारे गये थे | महुली के समीप शिवपहरी से वंशीधर की अष्टधातु की मूर्ति मिली थी, जिसकी स्थापना मैया भवानी ने नगर उंटारी में की थी
दुद्धी स्टेट की स्थापना संग्रौली के छाविशाह नगर उंटारी की भवानी देव तथा महाराज बडहर के राज्यों से भूमि लेकर रोबर्ट्स ने की थी | म्योर और विन्द्हम ने इस क्षेत्र में अपने-अपने नाम के बाजार बसाए | दुद्धी की आदिवासी जातियों में खरवार, पनिका, मंझवार, चेरो (वैगा), पठारी, घसिया, पहरिया, मुसहर, धनगर, बंदी, राजगोंड, देव्गोंद, दे गौडीया, गौड़ आदि प्रमुख हैं |
क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से सबसे बड़ी तहसील दुद्धी का नाम ब्रितानी राज्य से पहले ‘खुदाई चक्र’ था, जिसे बाद में ‘खोदाई’ नाम से पुकारे जाने लगा था | उस समय यह क्षेत्र राजा बडहर और विजयपुर के सम्मिलित क्षेत्र में आता था | राजाओं के संघर्ष के परिणामस्वरूप वाइसराय ने यहाँ कोठी बनाने का निर्णय लिया उत्तर में सोन तथा पूर्व में कनहर के मध्य ‘दुद्धी स्टेट’ नाम से रेखांकित किया गया | दुद्धी तहसील का शेष क्षेत्र विन्द्हमगंज आदि बाद में ‘दुद्धी स्टेट’ में शामिल किया गया